Language: Hindi

Menu

टीके कैसे तैयार किए जाते हैं और उनका परीक्षण कैसे होता है?

प्रत्येक टीके को सघन व कठिन जांच से गुज़रना चाहिए ताकि उसके इस्तेमाल से पहले यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह सुरक्षित है।

पशु पर जांच

प्रयोगात्मक टीके का परीक्षण सबसे पहले पशुओं पर करके यह जांचा जाता है कि वह सुरक्षित है या नहीं, ताकि यह दर्शाया जा सके कि वह रोग को होने से रोक सकता है।

मनुष्यों पर परीक्षण

फिर तीन चरणों में इसका मनुष्यों पर चिकित्सीय परीक्षण किया जाता है :

चरण I में, एक छोटी संख्या में स्वयंसेवकों को टीका लगाया जाता है ताकि उसकी सुरक्षा का आकलन किया जा सके, यह पुष्टि की जा सके कि वह एक रोग-प्रतिरोधात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न करता हो, और सही खुराक निर्धारित की जा सके।

चरण II में, सैकड़ों स्वयंसेवकों को टीका लगाया जाता है। इससे साइड-इफ़ेक्ट की जांच होती है और यह देखा जाता है कि इससे रोग-प्रतिरोधात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न हो रही है या नहीं।

चरण III में, हजारों स्वयंसेवकों को टीका लगाया जाता है। कुछ लोगों को टीका मिलता है और कुछ को नहीं मिलता है। यह देखने के लिए दोनों समूहों के परिणामों की तुलना की जाती है कि टीका सुरक्षित व कारगर है या नहीं।

मंजूरी

चिकित्सीय परीक्षणों के परिणाम आने के बाद टीके के साथ कुछ चरणों की एक शृंखला अपनाई जानी होती है, जिसमें एक राष्ट्रीय असंक्रमीकरण कार्यक्रम के रूप में टीके को सामने रखने से पहले उसकी कारगरता, सुरक्षा, तथा विनियामक व जन स्वास्थ्य नीति मंजूरियों के लिए उसके विनिर्माण की समीक्षाएँ शामिल होती हैं ।

निगरानी

एक बार टीके की शुरुआत हो जाने के बाद टीकाकरण कार्यक्रम की कड़ी निगरानी की जाती है ताकि किसी भी अनपेक्षित प्रतिकूल साइड-इफ़ेक्ट का पता लगाया जा सके और आगे भी उसकी कारगरता की जांच की जा सके।